संग सखा सब तजि गए कोउ न निबहिओ साथ॥
कह नानक ऐह बिपति में टेक एक रघुनाथ॥५५॥
नाम रहिओ साधू रहिओ रहिओ गुरू गोबिन्द॥
कह नानक ऐह जगत में किन जपिओ गुर मंत॥५६॥
कह नानक ऐह बिपति में टेक एक रघुनाथ॥५५॥
नाम रहिओ साधू रहिओ रहिओ गुरू गोबिन्द॥
कह नानक ऐह जगत में किन जपिओ गुर मंत॥५६॥
राम नाम उर में गहिओ जा के सम नही कोई॥
जिह सिमरत संकट मिटै दरस तुहारो होई॥५७॥१॥
जिह सिमरत संकट मिटै दरस तुहारो होई॥५७॥१॥
एक दिन सभी संगी साथी तेरा साथ छोड़ जाएगें।ऐसा अक्सर देखनें में आता है कि जो भि हमारा संगी -साथीहो ता है,जिसे भी हम अपना मानते हैं।वह समय आनें पर हमारे साथ नही होते ।ऐसे वक्त में गुरू जी कहते हैं कि एक वह परमात्मा ही है जो हमारे साथ होता है।अर्थात जब हमारा कोई साथ नही देता उस समय एक प्रभु का ही आसरा रह जाता है।जो सदा हमारे साथ रहता है ।
संसार की हरेक वस्तु नष्ट हो जाती है,लेकिन उस प्रभु का नाम ,उस का अस्तित्व कभी नष्ट नही होता।इस संसार में नाम का ध्यान करने वाले साधु भी सदा रहते हैं अर्थात परमात्मा की बंदगी करनें के कारण उस प्रभु के साथ एकाकार हो जाते हैं।जिस कारण वह भी सदा रहते है।और वह गुरू जो हमें इस रास्ते पर चलनें की प्रेरणा देता है,वह सदा रहता है।क्यूँकि वह गुरू तो पहले से ही उस प्रभु से एकाकार हो चुका है।इस लिए उस गुरू के कहे अनुसार जिन लोगो ने गुरू द्वारा दिए गए उपदेशों पर चला हैं,वही उस परमात्मा के साथ जुड़ जाते हैं।
आगे गुरू जी,कहते हैं कि इस प्रकार जिन्होनें ने उस परमात्मा के नाम को अपनें ह्रदय में बसा लिआ है,एसे प्राणियों की किसी के साथ तुलना नही की जा सकती।ऐसे प्राणीयों के सभी संकट प्रभु कृपा से अपने आप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें उस परम पिता परमात्मा के दर्शन हो जाते हैं अर्थात वह प्राणी परमात्मा के साथ एकाकार हो जाता है।
संसार की हरेक वस्तु नष्ट हो जाती है,लेकिन उस प्रभु का नाम ,उस का अस्तित्व कभी नष्ट नही होता।इस संसार में नाम का ध्यान करने वाले साधु भी सदा रहते हैं अर्थात परमात्मा की बंदगी करनें के कारण उस प्रभु के साथ एकाकार हो जाते हैं।जिस कारण वह भी सदा रहते है।और वह गुरू जो हमें इस रास्ते पर चलनें की प्रेरणा देता है,वह सदा रहता है।क्यूँकि वह गुरू तो पहले से ही उस प्रभु से एकाकार हो चुका है।इस लिए उस गुरू के कहे अनुसार जिन लोगो ने गुरू द्वारा दिए गए उपदेशों पर चला हैं,वही उस परमात्मा के साथ जुड़ जाते हैं।
आगे गुरू जी,कहते हैं कि इस प्रकार जिन्होनें ने उस परमात्मा के नाम को अपनें ह्रदय में बसा लिआ है,एसे प्राणियों की किसी के साथ तुलना नही की जा सकती।ऐसे प्राणीयों के सभी संकट प्रभु कृपा से अपने आप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें उस परम पिता परमात्मा के दर्शन हो जाते हैं अर्थात वह प्राणी परमात्मा के साथ एकाकार हो जाता है।