ईश्वर को मानना या ना मानना व्यक्तिगत मामला है। इस विषय पर बहस करने से कोई लाभ होने वा्ला नही।
१.यदि आप उसे मानते हैं तो उस का लाभ आपको मिलेगा।(अधूरे आस्तिक)
२.यदि नही मानते तो उस लाभ से आप वंचित रहेगें।(नास्तिक)
३.यदि आप अभी निर्णय नही कर पाए..और उस सत्य की अभी तलाश कर रहें हैं...और अपना फैसला तभी लेगें...जब सत्य को जान लेगें।(आस्तिक)
जो है, उसे नही मानने से वह खोएगा नही । जो नही है,वह मान लेने से पैदा ना होगा।