गुरुवार, 28 फ़रवरी 2008

गुरुबाणी विचार-१



गुन गोबिंद गायो नही जनम अकारथ कीन ।

कह नानक हरि भज मना जिह बिध जल की मीन॥



बिखियन सो काहे रचियो निमख ना होहि उदास ।

कह नानक भज हरि मना परे ना जम की फाँस॥



हम इस दुनिया मे आ कर क्या कर रहें हैं। दुनियावी कार्यो में जीवन भर झूझते रहते हैं और अंत में पछताते हैं। सोचते है हमारा जन्म बेकार ही गया। हमारा ध्यान कभी उस की तरफ नही जाता जिस के कारण हम इस दुनिया में आते हैं। हम उसे तब तक भूले ही रहते हैं,जब तक हमें कहीं से चोट नही पड़ती,हमे जब तक यह एहसास नही होता कि हम जो काम करते रहे हैं उन से सुख की बजाए हमें हमेशा दुख ही मिलता है। बस ,कुछ पलों को हमे लगता है कि जैसे इन कामों को कर के हमे सुख मिल रहा है। लेकिन अगले ही पल यह सुख खो जाता है और हमें लगता है ही हम पहले से भी ज्यादा दुखी हो गए हैं। लेकिन हम मोह पाश में इस तरह से जकड़े़हुए हैं कि फिर उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं। यही हमारे दुख का कारण बनता जाता है।गुरू नानक देव जी कहते है कि यदि इस से छूटना चाहते हो तो उस परमात्मा की ओर ध्यान को लगाओ। जिस प्रकार पानी के बिना मच्छली जीवित नही रह पाती,उसी प्रकार तुम अपने आप को प्रभूमय कर लो। जिस से सभी प्रकार के भय अर्थात यम के भय से भी मुक्त हो जाओगे।

2 टिप्पणियाँ:

समयचक्र ने कहा…

बहुत बढ़िया ईश्वर ही सत्य है

राज भाटिय़ा ने कहा…

जब हम उस ईश्वर को हमेशा याद रखे गे , तो हम गलत काम कर ही नही सकते, ओर जब गलत काम नही करे गे तो शांति रहे गी,सुखी रहेगे,लेकिन सिर्फ़ उस ईश्र्वर को याद ही नही करना बल्कि उस का कहना भी मनना हे

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