बुधवार, 24 सितंबर 2008

फरीद के शलोक-१


जितु दिहाड़ै धन वरी साहे लई लिखाई॥
मलकु जि कंनी सुणीदा मुहु देखाले आई॥
जिंदु निमाणी कढीऐ हडा कू कड़्काई॥
साहे लिखे न चलनी जिंदू कूं समझाई॥
जिंदु वहुटी मरणु वरु लै जासी परणाई॥
आपण हथी जौलि कै कै गलि लगै धाई॥
वालहु निकी पुरसलात कंनी न सुणी आई॥
फरीदा किड़ी पवंदीइ खड़ा न आपु मुहाई॥१॥


फरीद जी कहते है कि जिस दिन जीव का आगमन होता है,उसी दिन जीव का भाग्य लिख दिया जाता है।अर्थात उस के पैदा होते ही मृत्यु का समय भी निश्चित हो जाता है।जिस मृत्यु के फरीश्ते के बारे में पहले ही सुन रखा होता है वह बार-बार हमारे कानों मे अपने आनें की खबर देता रहता है।अर्थात हमारे आस -पास मरनें वालों के जरिए अपनी मौजूदगी का एहसास कराता रहता है।आगे कहते हैं- कि जिस जीवन रूपी पत्नी को वह मृत्यु रूपी पति वरण करता है उस की संसार में आते ही हालत खराब होनें लगती है।वह जीव की हड्डीयों को अर्थात शरीर को रोगादि द्वारा शक्तिहीन कर के ब्याह के ले जानें की तैयारीयो मे लग जाता है।इस लिए अपने को समझा ले की यह समय कभी टल नही सकता।जीवन रूपी पत्नी को मृत्यु रूपी पति एक दिन अवश्य ही ब्याह कर ले जाएगा।लेकिन क्या तू जानता है कि यह ब्याह के ले जाने के बाद किस के गले से जा कर लगेगी? अर्थात तेरी मृत्यु हो जाने के बाद तेरी आत्मा तो निआसरी हो जाएगी उस का कोई भी सहारा नही रहेगा।लेकिन फरीद जी कहते हैं इस से बचनें का एक रास्ता है, जो की बहुत ही सँकरा है ।क्या तूनें उस के बारे में नही सुना कि यह जो समुंद्र रूपी संसार है इस में विकारों की जो लहरें उठ रही हैं,उस से बचनें का एक ही दर्वेशी रास्ता है जो तुझे इस के पार ले जाएगा आर्थात मृत्यु व विकारों के कारण पैदा होने वाले दुखों के भय से तुझे मुक्त कर देगा।तेरे आस-पास कितनें ही गुरु,पीर, पैगंबर तुझे रास्ता बतानें के लिए खडे़ हुए हैं।

1 टिप्पणियाँ:

राज भाटिय़ा ने कहा…

बिलकुल सही कहा हे फ़रीद बाबा जी ने , ओर हम पता नही कितने सालो का प्रोगराम बना कर चलते हे.
धन्यवाद

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