घड़ीऐ घड़ीऐ मारिऐ,पहरी लहै सजाए॥
सो हेड़ा घड़ीआल जिउ,ढुखी रैण विहाए॥४०॥
बुढा होआ शेख फरीद, कंबणि लगी देह॥
जे सौ वरिआ जीवणा,भी तनु होसी खेह॥४१॥
फरीदा बारि पराइऐ बैसणा,साईं मुझै न देहि॥
जे तू ऐवै रखसी,जिउ सरीरहु लेहि॥४२॥
फरीद जी कहते हैं कि हर पल,हर घड़ी इस शरीर रूपी घड़ियाल को मरना पड़ रहा है।इस तरह यह पल-पल, पहर-पहर में बदल जाते हैं और तब भी वह सजा भोग रहा होता है।इसी तरह दुख और कष्ट भोगते-भोगते हमारा सारा जीवन बीत जाता है।अर्थात फरीद जी कह रहे हैं कि जैसे ही इन्सान इस दुनिया में जन्म लेता है,उसी समय से यह शरीर मरनें लगता है। धीरे-धीरे यह समय पहरो में फिर महीनों और सालों मे बदल जाता है।इस तरह हमारा सारा जीवन ही दुख और तकलीफों को सहता हुआ बीतनें लगता है।
आगे फरीद जी कहते है कि इसी तरह शरीर बूढ़ा हो जाता है और हमारी देह काँपनें लग जाती है। भले ही हम सो बरस तक जीते रहे,लेकिन फिर भी इस शरीर ने आखिर में स्वाह हो जाना है।फरीद दी इस तरह की चर्चा इस लिए कर रहे हैं क्यूँकि हम सदा भोग-विलास के पीछे जीवन भर भागते रह्ते हैं।वह कह रहे है कि यदि हम सारी उमर इसी तरह अपना जीवन बीताते रहे तो भी यह जीवन एक दिन समाप्त हो जाना है।
फरीद जी अगले श्लोक में प्रभू से प्रार्थना करते हुए कह रहे हैं कि हे प्रभू! यदि तूनें मुझे इसी तरह दुनिया में भोग-विलासो के मोह में फँसाए रखना है तो यह जीवन आप अभी वापिस ले लो।अर्थात फरीद जी कहना चाहते हैं कि हे प्रभु यह तो अनमोल जीवन हमें मिला है यह व्यर्थ ही ना चला जाए।हमारा यह जीवन ऐसा हो कि हम तुम्हारे प्रेम में डूब कर आनंद से बिताएं।
3 टिप्पणियाँ:
kitni sachi baat kahi hai farid ne.
aur in pankitiyon ka jawab nahi ...
हमारा यह जीवन ऐसा हो कि हम तुम्हारे प्रेम में डूब कर आनंद से बिताएं।
aapko bahut bahut badhai
maine kuch naya likha hai , aapka aashirwad chaiye.
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
परमजीत जी आप के यै बांल्ग पर आ कर मुझे पिता जी याद बहुत आते है, वो मुझे यह सब बाते समझाते थे.बहुत बहुत धन्यवाद
दुःख तकलीफों को सहता हुआ ही बीतता है मगर ""नानक दुखिया सब संसारा ,सो सुखिया जो नाम अधारा का मार्ग भी बतलाया गया है /शिक्षाप्रद प्रवचन प्रस्तुत करने पर आपको धन्यवाद
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