संतन के हित रहत है सब के हित की बात।
घट-घट देखें अलख को,पूछें जाति ना पाति॥
१. साधू अपनी बात को कहता है उसे आप माने या ना मानें यह आप पर छोड़ देता है और शैतान अपनी बात कह कर उसे मनवाना चाहता है,साम,दाम दंड,भेद की मदद से।
२. शैतान स्वार्थ को लेकर आपके पास आता है,जबकि साधू निस्वार्थी भाव से।