कबीर लूटना है त लूटि लै, राम नाम है लूटि॥
फिरि पाछै पछुताहुगे, प्रान जाहिंगे छूटि॥४१॥
कबीर जी कहते है कि यदि तुझे कुछ लूटने की चाह है तो तू उस राम नाम की लूट कर ले।क्योकि एक राम का नाम ही लूटने योग्य है।यदि तूने अभी इस राम नाम को नही लूटा तो जब तेरे प्राण इस शरीर को छोड़ देगें उस समय तुझे पछताना पड़ेगा।
कबीर जी हमे कहना चाहते है कि हमारी प्रवृति सदा लूटने की रहती है, कभी हम धन के पीछे, कभी मान सम्मान के पीछे, कभी अन्य कामनाओं की प्राप्ती को पाने की लालसा मे सदा लगे रहते हैं। इस लिए कबीर जी हमे कहते हैं कि यदि लूटना है तो उस परमात्मा के नाम की लूट कर, जो सदा तेरे काम आना है।क्यो नाशवान पदार्थो, सुखो के पीछे भागता रहता है। यदि तुमने अभी होश नही संभाला तो जब तेरे प्राण तेरे शरीर से निकलने लगेगें तो तू बहुत पछताएगा। वास्तव मे कबीर जी हमे वह रास्ता बता रहे हैं जिस से हमे स्थायी सुख,आनंद की प्राप्ती होती है। वे समय रहते हमे सचेत होने को कह रहे हैं।
कबीर ऐसा कोई न जनमिउ, अपनै घरि लावै आगि॥
पांचऊ लरिका जारि कै, रहै राम लिव लागि॥४२॥
कबीर जी कहते है कि मैने ऐसा कोई भी व्यक्ति नही देखा जो अपने घर को स्वयं ही आग लगा दे और उस आग मे अपने पाँचों लड़को को भी जला दे।उन पाँचो लड़को को जला कर स्वयं परमात्मा का ध्यान करने लगे।
कबीर जी हमे कहना चाहते हैं कि व्यक्ति इतनी आसानी से संसार का मोह नही छोड़ सकता।ऐसा करना बहुत हिम्मत की बात है कि कोई अपने बनाए घर को स्वयं ही नष्ट कर दे। भीतर रहने वाले पाँचों विकारो से मुक्त होना बहुत कठिन है।लेकिन यदि हम उस राम का ध्यान करें, उस राम के नाम मे डूब जाए तो यह संभव हो सकता है। इस रास्ते पर चल कर संसारिक मोह से, विषय विकारों से छूटा जा सकता है।
फिरि पाछै पछुताहुगे, प्रान जाहिंगे छूटि॥४१॥
कबीर जी कहते है कि यदि तुझे कुछ लूटने की चाह है तो तू उस राम नाम की लूट कर ले।क्योकि एक राम का नाम ही लूटने योग्य है।यदि तूने अभी इस राम नाम को नही लूटा तो जब तेरे प्राण इस शरीर को छोड़ देगें उस समय तुझे पछताना पड़ेगा।
कबीर जी हमे कहना चाहते है कि हमारी प्रवृति सदा लूटने की रहती है, कभी हम धन के पीछे, कभी मान सम्मान के पीछे, कभी अन्य कामनाओं की प्राप्ती को पाने की लालसा मे सदा लगे रहते हैं। इस लिए कबीर जी हमे कहते हैं कि यदि लूटना है तो उस परमात्मा के नाम की लूट कर, जो सदा तेरे काम आना है।क्यो नाशवान पदार्थो, सुखो के पीछे भागता रहता है। यदि तुमने अभी होश नही संभाला तो जब तेरे प्राण तेरे शरीर से निकलने लगेगें तो तू बहुत पछताएगा। वास्तव मे कबीर जी हमे वह रास्ता बता रहे हैं जिस से हमे स्थायी सुख,आनंद की प्राप्ती होती है। वे समय रहते हमे सचेत होने को कह रहे हैं।
कबीर ऐसा कोई न जनमिउ, अपनै घरि लावै आगि॥
पांचऊ लरिका जारि कै, रहै राम लिव लागि॥४२॥
कबीर जी कहते है कि मैने ऐसा कोई भी व्यक्ति नही देखा जो अपने घर को स्वयं ही आग लगा दे और उस आग मे अपने पाँचों लड़को को भी जला दे।उन पाँचो लड़को को जला कर स्वयं परमात्मा का ध्यान करने लगे।
कबीर जी हमे कहना चाहते हैं कि व्यक्ति इतनी आसानी से संसार का मोह नही छोड़ सकता।ऐसा करना बहुत हिम्मत की बात है कि कोई अपने बनाए घर को स्वयं ही नष्ट कर दे। भीतर रहने वाले पाँचों विकारो से मुक्त होना बहुत कठिन है।लेकिन यदि हम उस राम का ध्यान करें, उस राम के नाम मे डूब जाए तो यह संभव हो सकता है। इस रास्ते पर चल कर संसारिक मोह से, विषय विकारों से छूटा जा सकता है।
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